Bhajan
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
जब तेरी गोकुल पे आया दुख: भारी
एक इशारे पर विपदा सब टारी
मुड गया गोवर्धन जिधर मोड दिया
मीरा पुकार तुझे गिरधर नन्द लाला
ढल गया अमृत में विष का भरा पियाला
कौन मिटाए उसे जिसे तु राखे पिया
मन में शाम वसे नैनो बनवारी
सुध विसराए गई मुरली की धुन प्यारी
मन के मधुवन में रास रचाए रसीया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया